
जिंदगी लाइव धूल और धुएं की बस्ती में पले एक साधारण अध्यापक के पुत्र श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी प्रतिभा नेतृत्व क्षमता लोकप्रियता और अद्भुत संप्रेषण क्षमता के कारण चार दशकों से भी अधिक समय तक भारतीय राजनीति के पुरोधा रहे, उनके अंदर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की संकल्प शक्ति, भगवान श्री कृष्ण की राजनीतिक कुशलता ,और आचार्य चाणक्य की अद्भुत निश्चय नीति बुद्धि और विवेक समाहित थी देश के लिए उनकी नीति बिल्कुल स्पष्ट थी हम जिएंगे तो देश के लिए मरेंगे तो देश के लिए ,इस पावन धरती का कंकड़ कंकड़ शंकर है ,बिंदु बिंदु गंगाजल है ,भारत के लिए मैं हंसते-हंसते प्राण न्योछावर करने में गौरव और गर्व का अनुभव करूंगाउनके होठों पर मां सरस्वती साक्षात मुस्कुराती रहती थी, यही कारण था कि उनकी संप्रेषण क्षमता न केवल अद्भुत बल्कि चुंबकीय आकर्षण से युक्त थी ,और भारतीय संसद के अंतर्गत जब वे बोलने के लिए खड़े होते थे तो विरोधी भी चुपचाप खामोश होकर उन्हें निहारने लगते थे और उनके शब्द शक्ति के कायल हो जाते थे, वे एक संवेदनशील कवि ,विचारवान लेखक ,और सबसे बड़ी बात सच्चे इंसान थे ,इंसानियत के थर्मामीटर की सर्वोच्च डिग्री तक उनके हृदय का पारा पहुंचता था ,इसलिए उनके बारे में अक्सर कहा जाता है कि वह मूलत: कवि थे ,और राजनेता बाद में थे ,उनके हृदय में करुणा का भाव सदैव गंगा के धारा की तरह कल कल प्रवाहित होता रहता था ,और यह उनके व्यक्तित्व में भी दिखाई देता थाश्री अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीतिक गगन के ध्रुव नक्षत्र हैं, उनका व्यक्तित्व पूनम की चांदनी जैसा मनभावन है, उनकी पूरी जिंदगी को देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे वे भारतीय राजनीति के पुरोधा है, जिन्होंने पूरा जीवन देश राष्ट्रीयता और सुशासन के लिए समर्पित कर दिया थालोकतंत्र के में सुशासन के इस महापुरुष के व्यक्तित्व और कृतित्व को अगर आपको समझना है तो आपको उनकी कविताओं को पढ़ना होगा ,और उसके हर छंद शिल्प सौंदर्य और शब्दों को नजदीक से चिंतन के साथ जानने समझने और परखने की कोशिश करनी होगी कि, आखिर ऐसा कौन सा चमत्कार इस व्यक्तित्व के साथ था जिसके कारण लोग इस महापुरुष के दीवाने थे अटल जी अपनी कविताओं में कहते हैं छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता मन हार कर मैदान नहीं जीते जाते ना मैदान जीतने से मन ही जीते जाते हैंफिर अटल जी आगे लिखते हैं की आदमी ने ऊंचा होता है ना नीचा होता है ना बड़ा होता है ना छोटा होता है आदमी सिर्फ आदमी होता है इन पंक्तियों से अटल जी के व्यक्तित्व का आकलन होता है और ऐसा एहसास होता है कि इस महापुरुष का पूरा जीवन राष्ट्र की एकता अखंडता सहिष्णुता और प्यार के लिए ही बना था ,और उन्होंने अपनी पूरे जीवन काल को इसी राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था ,अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में हमेशा यह कहा जाता रहा कि वह आधे कवि और आधे राजनेता है और बार-बार जब यह सवाल उनसे पूछा जाता था तो बे अक्सर मुस्कुराकर कहते थे की ,साहित्य ही मेरी पहली पसंद है ,मैं राजनीति में अचानक आ गया ,मैं राजनीति छोड़ना चाहता हूं ,मगर राजनीति मुझे नहीं छोड़ रही ,अटल जी के बारे में कहा जाता है कि वह संपूर्ण मानव और मानवता के प्रतीक थे ,वह पहले मानव थे ,उसके बाद राजनीतिज्ञ ,उन्होंने अपने शब्दों से भी इसका एहसास कराया था उनकी एक कविता है, जिसके सहारे उनके व्यक्तित्व को समझा जा सकता हैमनुष्य की पहचान उनके धन या सिंहासन से नहीं होती उसके मन से होती है मन की फकीरी पर कुबेर की संपदा भी रोती हैभारतीय राजनीति के इस पुरोधा की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि वह राजनीति में होने के बाद भी मनुष्यता के स्तर से कभी नहीं गिरे ,और अपने पूरे जीवन काल के दौरान उन्होंने मानवीय मूल्यों का पालन किया ,यही उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत थी ,और यही कारण था कि उनके व्यक्तित्व के विरोधी भी कायल थे, वह भारतीय राजनीति के अजातशत्रु थे ,वे जीवन के अंतर्गत अपनी बुद्धि विवेक चेतना और विचार के स्तर से कभी नहीं हटे ,और उन्होंने भारतीय राजनीति के अंतर्गत जिस मानक का प्रयोग किया वह सचमुच लोकतंत्र के लिए मिसाल है अगर हम और आप भारत के इस महान महापुरुष के जीवन को अपनी जीवन शैली में अपनाना चाहते हैं तो संकल्प शक्ति बुद्धि विवेक और कर्मठता को सीख सकते हैं उनकी एक कविता है …आदमी को चाहिए कि वह हर परिस्थितियों से लड़े एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े अटल जी पूरी जीवन पर्यंत भारतीय राजनीति के अंतर्गत हताशा निराशा और यहां तक की अपनी संसदीय हार के बाद भी कभी नहीं झुके , उसी मुस्कुराहट के साथ अनवरत अपने लक्ष्य पर चलते रहे ,क्योंकि उन्हें यह विश्वास था कि जिस संकल्पना को लेकर वे भारत के नवनिर्माण के लिए निकले हैं उनका वह सपना एक दिन जरूर पूरा होगा, भारतीय संसद में अपनी क्षणिक सरकार गिर जाने के बाद आखिरी भाषण में उन्होंने कहा था ,भले ही मेरी सरकार कुछ आज गिर रही है, मगर मुझे विश्वास है मैं और मेरी पार्टी एक दिन लौटेगी और पूर्व से पश्चिम तक उत्तर से दक्षिण तक कमल खिलेगा और उन्होंने यह कर दिखाया उनकी एक कविता है उजियारे में अंधकार में कल कछार में बीच धार में घोर घृणा में पूत प्यार में क्षणिक जीत में दीर्घ हार में जीवन के शत-शत आकर्षक अरमानों को दलना होगा कदम मिलाकर चलना होगा कदम मिलाकर चलना होगाअटल जी अपने पूरे जीवन काल के दौरान अपने मूल्यों आदर्शों और संस्कारों के प्रति सदैव अटल रहे ,राजनीति की इस लंबी यात्रा के दौरान उनकी कविता, उनकी शब्द साधना और मां सरस्वती उनके साथ सदैव मौजूद रही ,सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने के बाद भी उनके अंदर की मनुष्यता और चेहरे की मुस्कुराहट कभी खत्म नहीं हुई ,और उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में यह संदेश दिया की आदमी भले ही कितनी ऊंचाई पर पहुंच जाए उसके पांव जमीन पर जरूर रहने चाहिए यही आदमी की पहचान होती है उनकी एक कविता है हे प्रभु मुझे इतनी ऊंचाई कभी मत देना गैरों को गले लगा न सकूं इतनी रुखाई कभी मत देनापूरे जीवन काल के दौरान उन्होंने भारतीय लोकतांत्रिक परंपरा के अंतर्गत एक स्पष्ट दशा और दिशा देने की भरपूर कोशिश की ,और उन्होंने यह साबित किया कि लोकतंत्र की मर्यादा गरिमा को किस तरह अपने व्यक्तित्व में उतारते हुए देश के अंतर्गत समाज के अंतिम व्यक्ति तक सुशासन स्थापित की जा सकती हैअटल जी की सौम्यता सहजता सरलता का पूरा देश कायल रहा है, इस महान राष्ट्र के लिए उन्होंने जो परिकल्पना की थी वह सचमुच धीरे-धीरे पल्लवित और पुष्पित हो रही है ,यह अटल जी के दृढ़ निश्चय का ही परिणाम है कि भारत आज देश और दुनिया के अंतर्गत विकासशील देश बनने की कतार में खड़ा है ,स्वास्थ्य शिक्षा रक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में देश आज जो तरक्की कर रहा है उसके पीछे श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सोच ही निहित है, वे चाहते थे भारत आत्मनिर्भर बने, भारत अपने पैरों पर खड़ा हो ,और भारत की पहचान देश और दुनिया में हो, और उनकी यह सोच सचमुच आज नए भारत में दिखाई दे रही है लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना के लिए जब आप अपने कर्म धर्म मर्म और राष्ट्रीयता की भावना के साथ देश के नवनिर्माण में कार्य करने लगते हैं ,तब अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियां उनके विचार जिंदा हो जाते हैं ,जब आप भारत की महान गौरवशाली परंपरा संस्कृति को बचाने के लिए आगे बढ़ने लगते हैं तब श्री अटल बिहारी वाजपेयी आपके साथ मुस्कुराने लगते हैं ,जब शासन व्यवस्था के अंतर्गत अंतिम व्यक्ति तक आप सोचने लगते हैं तब अटल बिहारी वाजपेयी का सपना साकार होने लगता है सचमुच भारतीय राजनीति के अंतर्गत श्री अटल बिहारी वाजपेयी अद्भुत अविश्वसनीय और अकल्पनीय महापुरुष थे और अंत में उन्हीं की पंक्तियां हमें और आपको जीवन के लिए दशा और दिशा प्रदान करती है भरी दुपहरी में अधियारा सूरज परछाई से हारा अंतर तम का नेह निचोड़े बुझी हुई बाती सुलगाएं आओ फिर से दिया जलाएं आओ फिर से दिया जलाएंभारतीय राजनीति में #सुशासन के राष्ट्र पुरुष को नमन
#सुधीर कुमार मिश्रा #जिंदगी लाइव