
डूंगर महाविद्यालय बीकानेर, राॅयल सोसाइटी आफ कैमिस्ट्री लंदन एवं ग्रीन कैमिस्ट्री नेटवर्क सेंटर दिल्ली के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम व वर्कषॅाप में तीन दिनों तक 250 से अधिक डेलीकेट की उपस्थिति, 14 तकनीकी सत्रों में हुए 34 आमंत्रित व्याख्यान, 27 पत्र वाचन एवं 87 पोस्टर को साथ 12 ई पोस्टर एवं 15 साईंस फिल्मों के प्रदर्षन में 17 राज्यों व 8 देषों के प्रतिनिधियों ने ग्रीन कैमिस्ट्री व तकनीक के माध्यम से मिलकर उत्प्रेरक, भोजन, जल एवं दवाई विषय से संबधित ज्वलंत विषयों पर गहन मंथन किया।

इसके मुख्य आकर्षण, महत्वपूर्ण बिन्दु एवं निगमन निम्नलिखित प्रकार से है:मुख्य आकर्षणखचाखच भरी रसायन विज्ञान गैलरी में पोस्टर प्रदर्शन 87 पोस्टर के माध्यम से देश विदेश के युवा वैज्ञानिकों द्वारा शोध कार्य का प्रदर्शन सिम्पोजियम के दूसरे दिन खचाखच भरी रसायन विज्ञान गैलरी में हुआ। ग्रीन एनर्जी, कृत्रिम लिवर, उत्प्रेरकीय दवाईया, जैसे विषयों पर जूरी सदस्य आईआईटी बाॅम्बे के प्रो. संदीप कार, यूनिवर्सिटी आॅफ लाॅड्स इग्लैण्ड के डाॅ. कृष्णा एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की डाॅ. रंजना दीक्षित जैसे विद्धजनों को बेस्ट पोस्टर पुरस्कार चयन का निर्णय लेने में तीन घंटे से अधिक का समय लगा।

ग्वारपाठा से बने व्यजनों का सजीव प्रदर्शन डूंगर महाविद्यालय बीकानेर के विद्यार्थियों गुमान सिंह, प्रियंका भारद्वाज एवं मीनल खत्री द्वारा किया गया। कलाकंद, हलवा, लड्डू, चीला पकौडे़ के साथ साथ चाकलेट कैंडी एवं पान को ग्वारपाठे के उपयोग से उन्नत पोषणकारी बनाया जा सकता हे। इसे सजीव देखकर एवं उत्पादों को चखकर स्थानीय खाद्य उद्योग से जुडे विशिष्ट जन के साथ साथ बाहर से पधारे वैज्ञानिक भी चकित थे। स्मार्ट साईंस लैब में शोधार्थीयों ने प्रोफेसरों को करवाये वर्चअुल रिएल्टिी के प्रयोग डूंगर महाविद्यालय में स्थापित स्मार्ट साईंस लैब में जीसीआरसी के शोधार्थीयों दिव्या शेखावत, कन्हैया लाल, रामचन्द्र एवं शुभलक्ष्मी द्वारा राॅयल सोसाइटी आफ कैमिस्ट्री लंदन के एशिया सचिव प्रोफेसर आर.के. शर्मा, लदाख विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. मेहता, डीएवी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आर.के. महाजन, आईआईटी मुंबई के प्रो. नंदकिशोर व प्रो संदीप कार सहित बाहर से पधारे सभी प्रोफेसरों को वर्चअुल रिएल्टिी के प्रयोग करवायें गये। प्रोफेसर नंद किशोर ने अभिभूत होकर आईआईटी मुंबई में इस प्रकार के प्रदर्शन एवं संयोजन के लिए आमंत्रित किया।विशेष सत्र बना महिला सशक्तिकरण का उदाहरण. पहली बार किसी सिम्पोजियम में महिला सशक्तिकरण का अनूठा संयोग दिखाई दिया। सातवें विशेष सत्र की चेयरपर्सन डाॅ. रजना दीक्षित आमंत्रित वैज्ञानिक दिल्ली विश्वविद्यालय की डाॅ. कनिका सोंलकी, अजमेर की डाॅ. सीमा गर्ग, कोटा की डाॅ. विजय देवड़ा एवं चयनित युवा वैज्ञानिक अनु जैन, काजल चारण, माया कुमारी, रूखसार बानो, सहित सत्र संचालन डाॅ. सुरूचि गुप्ता एवं स्वयं सेवक सूर्या बिठ्ठू, हर्षिता मीणा व गीतिका चावला भी महिलाएं रही। यह सत्र समापन समारोह के पश्चात् इतना चर्चित रहा कि जीसीएनसी दिल्ली की डाॅ. कनिका सोंलकी ने जीसीआरसी बीकानेर के सहयोग से एक महिला विज्ञान सम्मेलन करवाने का प्रस्ताव रखा।ई-पोस्टर एवं वीडियों फिल्में ने सिम्पोजियम को बनाया कास्मिकई-पोस्टर एवं वीडियों फिल्मों के प्रदर्शन ने इस सिम्पोजियम को एक अलग कास्मिक स्वरूप प्रदान कर दिया।

विडियोग्राफी समन्वयक डाॅ. दिव्या जोशी ने इससे प्रभावित होकर जीसीसआरसी द्वारा एक नेशनल फिल्म फैस्टीवल करवाने का आग्रह किया। इस सत्र अवार्ड कैटेगरी की साईंस फिल्मों को प्रदर्षित किया गया एंव दो फिल्मों केमल मिल्क फार आटिज्म तथा बायोमेडिकल वेस्ट का प्रीमियम किया गया।नैक निरीक्षण व नई शिक्षा नीति 2020 राजस्थान में पहली बार किसी अंतर्राष्ट्रीय सिम्पोजियम में फिजीक्स, कैमिस्ट्री, जूलोजी, बाटनी एवं जिओलाॅजी विषयों को एक साथ शामिल कर काॅलेज के लिए टीचिंग-लर्निंग तथा नैक निरीक्षण के द्वितीय क्राइटेरिया के अनुसार नवाचार युक्त प्रयोगों का प्रदर्शन हुआ तो यही बिन्दु नई शिक्षा नीति 2020 के अनुप्रयोग एवं कार्यान्वयन हेतु राजस्थान में मील का पत्थर साबित हुआ।महत्वपूर्ण बिन्दु1- लद्दाख विश्वविद्यालय के कुलपति सहित देश के 6 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का प्रत्यक्ष जुडाव ।2-प्रतिदिन तकनीकी सत्रों का 8 घंटे से अधिक तक जारी रहना एवं विद्यार्थियों द्वारा प्रत्येक सत्र में प्रश्नों का पूछा जाना।

द्वितीय दिन का सत्र सायं 8 बजे तक जारी रहा।3-200 से अधिक युवा वैज्ञानिकों की भागीदारी4-देश में कश्मीर लद्दाख से कोचीन, गांधीनगर (गुजरात) से कोकाराझार (आसाम) तक 17 प्रदेषों की भागीदारी होना।5-देश विदेश की ख्याति नाम संस्थाओं आईआईटी मुंबई, दिल्ली विश्वविद्यालय, कश्मीर विश्वविद्यालय, सहित अमेरिका हंगरी सहित आठ देशों के वैज्ञानिकों द्वारा पत्र वाचन निगमनसामान्यता किसी भी सिम्पोजियम की सफलता उसके कन्टेट की क्वालिटी, विमर्श एवं सहयोग-चर्चा से उत्पन्न हुए निगमनों द्वारा आंकी जाती है। इस सिम्पोजियम के निगमन इस प्रकार है -1. हंगरी के प्रोफेसर जार्ज केजिलवीच ने डूंगर काॅलेज के साथ सहभागी शोध करने एवं हंगरी व बीकानेर के बीच विद्यर्थियों विनिमय का प्रस्ताव दिया।2. ग्रीन कैमिस्ट्री नेटवर्क सेंटर दिल्ली द्वारा जीसीएनसी का चैप्टर बनाने का प्रस्ताव रखा गया इससे बीकानेर के विद्यार्थियों को र्राष्ट्रीय स्तर के ख्यातिनाम वैज्ञानिको के साथ कार्य करने का अवसर प्राप्त होगा ।3. आईआईटी मुंबई के प्रो. नंदकिशोर ने स्मार्ट साईंस लैब जैसी लैब मुंबई में स्थापित करवाने हेतु सहयोग मांगा एवं मुंबई की ओर सभी प्रकार के उच्च तकनीक युक्त विश्लेषानात्मक रसायन में सहयोग देने का प्रस्ताव दिया।4. आईआईटी गांघीनगर से डाॅ. भास्कर दता ने डूंगर महाविद्यालय रसायनशास्त्र विभाग से 5 स्नातकोतर विद्यार्थियों को इन्टरर्नशिप देने का प्रस्ताव दिया।5. लदाख विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. मेहता ने डूंगर महाविद्यालय की नैक उपलब्धियों, ट्रेनिंग देने की दक्षता एवं प्रकाशनों को देखकर लद्दाख के संघटक काॅलेजों के लिए नैक एवं अन्य संबधित ट्रेंनिंग प्रदान करने का अनुरोध किया।6. केन्द्रीय तकनीक विश्वविद्यालय कोकराझाार के डाॅ. प्रांजल एवं डाॅ. मानसी बुजर बरहुआ ने तकनीक विनिमय विशेषकर जल एवं भोजन आधारित तकनीक आदान-प्रदान पर संयुक्त शोध का प्रस्ताव रखा। 7. लवली प्रोफेशनल विश्वविद्यालय के प्रो. रविचन्द्रन ने शोध एवं प्रकाशन हेतु विद्यार्थी विनिमय का प्रस्ताव दिया। डूंगर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. जी.पी. सिंह ने इस सभी प्रस्ताव-निगमन हेतु बाहर से पधारे सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया। डाॅ. नरेन्द्र भोजक इन सभी प्रस्तावों को अमलीजामा पहनाने हेतु बीआइआरसी की एक कोर कमेटी बनाकर कार्य प्रारंभ कर दिया है। डाॅ. एच.एस. भंडारी ट्रेंनिंग संबधित, डाॅ. एस.एन. जाटोलिया व डाॅ. उमा राठौड़ शोध प्रस्ताव, डाॅ. राजाराम एवं डाॅ. एस.के.वर्मा लेखन प्रस्ताव पर कार्य कर रहें हैं। डाॅ. भोजक के अनुसार इसके अतिरिक्त के दो स्टार्ट अप बनाने का कार्य प्रस्तावित हे। सभी प्रस्तावों को निगमन के रूप में महत्वपूर्ण मानते हुए कार्य किया जायेगा। डाॅ. सुषमा जैन, डा.सुरूचि गुप्ता, डा. संगीता शर्मा, डा. एस के यादव, डाॅ. प्रतिभा पायल, डाॅ. मधुसूदन एवं डाॅ. राजेन्द्र सिंह डा. अभिलाषा सोनेल का सभी में सहयोग रहेगा।