
बीकानेर,14अगस्त।आज पब्लिक पार्क से गांधी पार्क तक विभाजन विभीषिका दिवस पर पंजाबी और सिंधी समाज के लोगो एवं भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्तायों के संग एक मौन शांति मार्च निकाला गया और गांधी पार्क में राष्ट्रीय पंजाबी महासभा के प्रदेश सचिव प्रेमप्रकाशखत्री ने अपने उदभोदन अपने पुर्वजों के साथ हुए 1947 में हूए नरसंहार को विश्व इतिहास का वो काला समय जिसमें भारत की एक करोड चालीस लाख लोगो की आबादी को कष्ट झेलना पडा और 5 से 10 लाख लोगो का कत्लेआम हुआ फिर भी इस विभिसका के क्षण में भारत के पंजाबी समाज और सिंधी समाज के लोगो को कटना मंजूर था …उजड़ना मंजूर था… धर्म छोड़ना मंजूर न था …झुकना मंजूर न था …गर्व है हमें पूर्वजो पर जिनके बलिदान की वजह से हम लोग आज भी अपने धर्म से दूर नही हुए।देश के बंटवारे देश की आजादी ओर धर्म की रक्षा के लिए हमारे पूर्वजों (14-15अगस्त) के समय शहींद हुए उन देश भक्तों को भावपूर्ण श्रंद्धाजलि दी जब हिंदुस्तान आजाद हो रहा था वहीं मेरे पुरखे अपना सब कुछ छोड़ निकल पड़े थे।एक नई दुनियाँ नए सिरे से बनाने को शत-शत नमन उन महान पुरखों को जिन्होंने ने हार नहीं मानी, ना किसी से भीख मांगी और देखते ही देखते ये अपने पुरषार्थ से फिर से खड़ा हो गया अपने पैरों पर आज चौदह अगस्त है।विभाजन की पुर्व संध्या पर *सिंधी और पंजाबी समाज बहुत ही सहनशील और अपने धर्म, अपनी संस्कृति के प्रति कितना संवेदनशील है,देश के विभाजन का वज्रपात सहन करना,अपनी मातृभूमि से बिछड़ना,और उन कटी लाशों की स्मृतियों को अपने दिलो दिमाग में संजोए रखना,भारतीय इतिहास में एक अविस्मरणीय उदाहरण है कत्ल की गई लाशों का वह भयावह परिदृश्य और पीढ़ा तत्समय के चश्मदीद गवाह ही महसूस कर सकते हैं।* *जिन आत्माओं को मात्रभूमि की अपनी मिट्टी नसीब नहीं हुई, और ना ही पवित्र गंगाजल की बूंदें, आज आईये , उनके याद में श्रद्धावत् कुछ आंखें नमन कर ले* इस अवसर पर हाथो में तिरंगा लिए बीजेपी के जिलाध्यक्ष विजय आचार्य, अनिलपाहुजा, मोहन सुराना,महावीर रांका ,जालिमसिंह भाटी पंजाबी समाज से नरेन्द्र कुमार खत्री, राकेश आहूजा ,नरेशकुमार गुरेजा और कार्यक्रम के अंत में जयकृष्ण गोम्बर ने अपने विचार रखे