मलेरिया क्रेश कार्यक्रम का हुआ आगाज़

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बीकानेर, 2 अप्रैल। मलेरिया- डेंगू जैसी मच्छर जनित बीमारियों के समय रहते नियंत्रण के लिए मलेरिया क्रेश कार्यक्रम का आगाज हो गया है। इसी क्रम में डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ लोकेश गुप्ता द्वारा उदासर तथा बीकानेर शहरी क्षेत्र के विभिन्न घरों में हो रही सर्वे तथा एंटी लारवा गतिविधियों को क्रॉस चेक किया गया। सहायक मलेरिया अधिकारी अशोक व्यास के साथ पानी की टंकियां, कूलर, परिंडो, फ्रिज ट्रे, स्टोर, छत के कबाड़ इत्यादि की जांच की। यहां कई स्थानों पर जमा पानी को खाली करवाया तथा पानी की टंकियां को ढक कर रखने की सलाह दी। मोहल्ले वासियों को एंटी लारवा व एंटी एडल्ट गतिविधियों की जानकारी दी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पुखराज साध ने बताया कि मलेरिया वार्षिक केलेन्डर गतिविधियो के अनुसार दिनांक 01.04.2025 से दिनांक 14.05.2025 तक मलेरिया क्रैश कार्यक्रम प्रथम चरण आयोजित किया जा रहा है जिसमे मच्छर के प्रजनन स्थलो पर सोर्स रिडक्शन, एन्टीलार्वल, एन्टी एडल्ट व आईईसी गतिविधिया संपादित की जायेगी। लार्वा प्रदर्शन के माध्यम से समय पूर्व समुदाय को मच्छर जनित रोगो से बचाव की जानकारी दी जायेगी। मलेरिया क्रैश कार्यक्रम प्रथम चरण के दौरान बायोलोजिक कन्ट्रोल के तहत हैचरी को क्रियाशील करना व स्थाई जल सोत्रो मे गम्बुशिया डालना जैसी गतिविधियां सुनिश्चित की जाएगी। जिला कार्यक्रम समन्वयक मालकोश आचार्य ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम, फेसबुक व ट्विटर पर संचालित हेल्दी बीकानेर हैंडल के माध्यम से लोगो को मच्छर जनित रोगो से बचाव के बारे अवगत करवाया जायेगा। पॉजिटीव केसो के लिये समयबद्ध सोर्स रिडक्शन, एन्टीलार्वल, एन्टी एडल्ट व आईईसी गतिविधिया करवायी जाएगी। *हर घर में जरूरी एंटी लार्वल एक्टिविटी*डॉ लोकेश गुप्ता ने आमजन को बताया कि मच्छरों की रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका होता है एंटीलार्वल एक्टिीविटी, जिसके तहत् मच्छरों को पनपने से ही रोक दिया जाता है। इस क्रम में गंदे पानी के इकट्ठा होने पर एमएलओ, पाइरेथ्रम छिड़काव, साफ पानी के तालाबों पर बीटीआई, पेयजल में टेमीफोस, खाद्य तेल, घरों में पाइरेथ्रम स्प्रे तथा जल स्त्रोंतो में मच्छर का लार्वा खाने वाली गम्बूशिया मछली डलवाने का कार्य जोरों पर है। आम जन को इस मुहीम से जुड़ते हुए एंटी लार्वा गतिविधियों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। पक्षियों के लिए रखे जाने वाले परिंडों को सप्ताह में एक बार खाली कर उन्हें बर्तन साफ करने वाले झामे से रगड़ कर, साफ कर व सुखाकर मच्छर के अण्डे एवं लार्वा नष्ट कर पुनः भरा जाये। कूलर, फ्रीज के पीछे की ट्रे, गमले, फूलदान इत्यादि हेतु भी यही प्रक्रिया अपनानी जानी चाहिए। इसके साथ ही छत पर रखे टूटे-फूटे सामान, कबाड़-टायर इत्यादि को हटाकर पानी इक्कठा होने से रोका जाये। पानी की टंकी एवं अन्य बर्तनों को ढंक कर रखा जाये जिससे मच्छर उनमें प्रवेश कर प्रजनन न कर सकें।

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