पाकिस्तान बहकर जाने वाला पानी टेल के किसानों को मिले: अंशुमान सिंह

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बीकानेर 7 मार्च । विधानसभा सत्र के दौरान कोलायत विधायक अंशुमान सिंह भाटी ने कहा कि 90 के दशक के बाद से पौंग बांध के अन्दर पूरा पानी नहीं भरा जा रहा है। इस कारण मानसून के समय बरसाती पानी पाकिस्तान जा रहा है। वहीं बीकानेर, बाड़मेर व जैसलमेर के टेल पर बैठे किसानों को पानी से वंचित रहना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बी.बी.एम.बी. के माध्यम से यह बात उठानी चाहिये। भाटी ने इंगांनप में कहा कि फील्ड स्टाफ जैसे बेलदार, मेट, जिलेदार, गेज रीडर के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियां कर पदों को भरने की कार्यवाही करने की बात विधानसभा में रखी । विधायक भाटी ने कहा कि गर्मी के समय विद्युत आपूर्ति में होने वाली बाधा से बचने के लिए एक मॉडल के रूप में एक स्थान चिन्ह्ति कर वहां पर पूरा का पूरा तंत्र सोलर पर आधारित हो, जो नेट मीटरिंग के माध्यम से जो भी अतिरिक्त बिजली हो, उसको फीडर में डाले। इससे सरकार को राजस्व की आय भी होगी और जनता को पूरा हक का पानी मिलेगा।विधायक भाटी ने पीएचईडी की राइजनिंग लाईन को तोड़कर व नहर में अवैध मोघे व साईफन लगाकर पानी चोरी के मुद्दे को भी उठाया। भाटी का कहना था कि इन सभी कारणों से अंतिम छोर तक बैठे व्यक्ति को पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा। भाटी ने राजस्थान इरिगेशन एण्ड ड्रेनेज एक्ट 1990 की धारा 55 में ऐसे लोगों पर गैर जमानती मुकदमा दर्ज करने व पीएचईडी एक्ट में संशोधन कर 7 वर्ष कैद व एक लाख रुपए जुर्माना लगाने का सुझाव दिया। भाटी ने कहा इससे अपराधियों में भय व्याप्त होगा । भाटी ने कहा कि छपनिया काल के समय हमारे पूर्वजों ने यातनाएं झेलीं, लेकिन जीवन को संरक्षित रखा। उन्होंने कहा कि आठ हजार साल से चली आ रही फुलप्रूफ व्यवस्था में कुऐं, जोहड़, पायतान, बावड़ी, बैरी, टोबा आदि से सीमित प्राकृतिक संसाधनों का प्रबन्ध व संरक्षण किया जिससे ये रेगिस्तान दुनिया का एक मात्र जीवित रेगिस्तान कहलाया । उन्होंने कहा कि हमारा प्रबन्धन पूरी दुनिया में एक मिसाल बना लेकिन कालान्तर में हम पाश्चात्य संस्कृति का अनुशरण करने लगे जिनका खुद की व्यवस्था नकारा हो चुकी है।महाराज गंगासिंह जी सीमित संसाधनों के बावजूद रेगिस्तान के सीने को चीरते हुए नहर ले आये थे।आज हमारे पास संसाधन है लेकिन मात्र 5 से 10 किमी. दूर पानी पहुंचाने में हमें दिक्कत आ रही है। भाटी ने कहा अगर ऐसे ही चलता रहा तो संकट और गहरा जायेंगा । भाटी ने बरसाती जल के संचयन के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जतायी ।

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