तीर्थराज प्रयाग :जिसके दर्शन मात्र से ही पुण्य फल की प्राप्ति होती है#दिव्य कुंभ …महाकुंभ #प्रयागराज सीरीज क्रमशः #सुधीर कुमार मिश्रा #जिंदगी लाइव

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बीकानेर 30 दिसंबर।गंगा जमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर बसा हुआ शहर तीर्थराज प्रयाग सदियों से हिंदू सनातन संस्कृति के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र बिंदु रहा है ,अनादि काल से यहां आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयोजन होते रहे हैं, सोम ब्रह्म तथा वरुण की तपस्थली और ऋषि मुनियों की यज्ञस्थली तीर्थराज प्रयाग को पांच प्रयागो ,देवप्रयाग ,रूद्रप्रयाग करणप्रयाग ,नंदप्रयाग ,और प्रयागराज में सर्वश्रेष्ठ माना गया है यद्यपि इस स्थान पर धर्म दर्शन एवं #आध्यात्मिकता के प्रचार प्रचार का कार्य पुरातन काल से होता आया है ,किंतु हिंदू सनातन संस्कृति में खासकर आध्यात्मिक और धार्मिक क्षेत्र के लिए इस स्थल को विशिष्ट स्थान प्राप्त है ,तीर्थराज प्रयाग के बारे में कहा जाता है कि यहां संगम के तट पर #सूक्ष्म भाव से देवी देवता निवास करते हैं ,और जो भी श्रद्धालु श्रद्धा भाव से यहां पहुंचते हैं उसकी मनोकामना जरुर पूरी होती है ,कहा तो यहां तक जाता है कि इस पूरे परिक्षेत्र के अंतर्गत एक चुंबकीय आकर्षण है जो बार-बार श्रद्धालुओं को यहां खींचती आई है भारतीय धर्म ग्रंथो का अध्ययन करने के पश्चात ऐसा ज्ञात होता है कि प्रयाग नाम की व्युत्पत्ति के संबंध में #महाभारत के वन पर्व में कहा गया है ,की गंगा जमुना सरस्वती संगम पर जीवों के स्वामी पितामह ब्रह्मा ने यज्ञ किया था ,इसलिए यजन भूमि होने के कारण विष्णु और शिव आदि देवताओं ने इसे प्रयाग का नाम दिया था ,स्कंद पुराण में चर्चा है कि प्र और याग़ से युक्त इस प्रयाग़ को समस्त यज्ञो के लिए उत्तम स्थल के रूप में निरूपित किया गया है ,यज्ञ दान दक्षिणा से सुसंपन्न देखकर विष्णु एवं महेश ने इसका नाम प्रयाग रखा ,मत्स्य पुराण में भी तीर्थराज प्रयाग को सर्वश्रेष्ठ स्थल माना गया है ,#मार्कंडेय मुनि ने लिखा है कि जितने भी विष्णु शंकर ब्रह्मा इत्यादि देवता ऋषि मुनि सागर सरिता तपस्वी गंधर्व अप्सरा हैं यह सब प्रयागराज में विद्यमान है ,प्रयाग महात्मय का वर्णन करते हुए काशी खंड में कहा गया है कि तीर्थराज प्रयाग का नाम सर्वश्रेष्ठ के रूप में प्रसिद्ध है ,यह सभी तीर्थ के पुण्य फलों को देने वाला और धर्म अर्थ काम मोक्ष चतुवर्ग का प्रदाता है ,इसी प्रकार #कर्म पुराण कहता है किसी अन्य क्षेत्र में किए गए पाप का नाश पुण्य क्षेत्र के प्रवास से है ,किंतु किसी पुण्य क्षेत्र में किया गया पाप तीर्थराज के प्रवास से नष्ट हो जाता है #ब्रह्म पुराण में वर्णन मिलता है स्वर्ग पृथ्वी और पाताल तीनों लोकों में भगवान माधव के समान दूसरा देवता नहीं है ,गंगा के समान कोई नदी नहीं है ,और तीर्थराज प्रयाग के समान कोई तीर्थ नहीं है, इसलिए हिंदू सनातन संस्कृति में तीर्थराज प्रयाग को सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है, #वाराहपुराण के अनुसार ब्रह्मा ने जहां से सैकड़ों यज्ञों का संपादन किया उसे प्रयाग नाम से जाना जाता है ,यह स्थान सब प्रकार के पापों का विनाशक है ब्रह्म क्षेत्र के रूप में यह प्रयाग तीनों लोकों में सबसे उत्तम स्थल है, इसीलिए सदियों से यहां लोग धार्मिक भाव से पहुंचने रहे हैं ऐसी मान्यता है कि देवाधिदेव ब्रह्मा विष्णु और शिव की निवास भूमि होने के कारण प्रयाग अक्षय है, प्रतिष्ठानपुर वर्तमान झूसी की उत्तर दिशा में ब्रह्मा जी गुप्त रूप में निवास करते हैं, वेणी माधव में योग मूर्ति विष्णु विद्यमान है, #अक्षयवट के रूप में भगवान शिव रहते हैं, कल्पंत में जब रुद्र के तांडव के माले की स्थिति उत्पन्न होती है तब भी इन त्रिदेवों के कारण प्रयाग अपने सदा से स्वरूप में अक्षय व स्थिर रहता है, इसी कारण प्रयाग में देव ,गंधर्व, यक्ष ,किन्नर सिद्ध साधक, ऋषि और मुनि एक साथ निवास करते हैं, प्रयाग़ के विशिष्ट देवताओं के रूप में शक्ति और #त्रिकाल भैरव का नाम उल्लेखनीय है, तंत्र चूड़ामणि से ज्ञात होता है कि यहां पर ललिता देवी का मंदिर है वहां सती की हस्तांगूली गिरी थी इसलिए प्रयाग शक्तिपीठ के रूप में भी विख्यात है ,इसी स्थान पर भव नामक भैरव का अति प्राचीन स्थल है जो साधुओं का सिद्ध स्थल माना जाता है, प्रयाग़ की सुरक्षा के लिए भगवान विष्णु ,स्वयं अष्ट माधव ,शंकर माधव ,चक्र माधव ,गधा माधव पदम माधव ,अनंत माधव ,बिंदु माधव, मनोहर माधव ,औअसिमाधव के रूप में विद्यमान है ,इन सब के साक्षात रूप में प्रयाग में निवास करने के कारण यह अक्षय माना जाता है तीर्थराज प्रयाग को सभी पुण्यों का #प्रदाता और पापों का हरण कर्ता कहा गया है ,सभी पाप प्रयाग के दर्शन मात्र से नष्ट हो जाते हैं, इनके दर्शन नाम उच्चारण और उनकी मूर्ति का स्पर्श करने मात्र से मनुष्य पाप मुक्त हो जाता है, ऐसी मान्यता है कि जो यहां आकर स्नान करते हैं वे स्वर्ग धाम को प्राप्त होते हैं, और जो यहां आकर मृत्यु को प्राप्त होते हैं उन्हें जन्म-मरण से मुक्ति मिल जाती है, और मोक्ष प्राप्त होता है ,यही कारण है कि अनेक ऋषियों मुनियों साधु संतों राजाओं महाराजाओं ने प्रयाग में आकर शरीर का त्याग किया ,जिन्हें प्रयाग में शरीर त्याग करने का लाभ नहीं मिलता उनकी अंत्येष्टि करने या त्रिवेणी में उनकी अस्थियां विसर्जित करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है ,इसलिए देवताओं ने तीनों लोकों में प्रयाग को अपना निवास स्थान चुना है तीर्थराज प्रयाग में स्नान तीर्थ और निवास करने से पुण्य प्राप्त होते हैं, सुदूर रहकर पवित्र भाव से इसके स्मरण मात्र से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है, ब्रह्मपुराण में स्पष्ट लिखा गया है इस धरती पर जो मनुष्य सदैव तीर्थराज प्रयाग को जाते रहते हैं और सदैव उसका स्मरण करते रहते हैं, वे समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं ,और अंत में मोक्ष अर्थात मुक्ति को प्राप्त होते हैं हिंदू सनातन संस्कृति के अंतर्गत पूजा पाठ करने के बाद दान की परंपरा रही है ,ऐसी मान्यता है की प्रयागराज में दान करने से विशेष फल प्राप्त होता है ,प्रयाग में दिए गए दान अक्षय फलदायी होते हैं, दानी को महान पुण्य अनंत कामनाओं और दुर्लभ फलों की प्राप्ति होती है ,देवताओं द्वारा सनाधित व समाधित इस यज्ञ भूमि पर थोड़ा भी किया गया दान महान फल देने वाला होता है, मत्स्यपुराण में कहा गया है ,तीर्थराज प्रयाग में यथाशक्ति दान करना चाहिए , ऐसी मान्यता है कि यहां किया गया दान अत्यंत #फलदायी होता है और अतिरिक्त आकांक्षाओं की पूर्ति शीघ्र होती हैयही कारण है कि त्रिवेणी संगम पर सदियों से माघ माह में एक पूरा नगर महानगर बस जाता है ,और देश और दुनिया के श्रद्धालु यहां पहुंचने लगते हैं और खास कर महाकुंभ के अंतर्गत इस जगह की छटा देखते ही बनती है ,प्रयागराज महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा मेला है, जिसे देखने के लिए दुनिया के लोग इसका इंतजार करते हैं, कहा तो यहां तक जाता है कि महाकुंभ के अंतर्गत लाखो लोग हर रोज गंगा जमुना सरस्वती के संगम तट पर स्नान करते हैं और यहां के धार्मिक महत्व का आनंद लेते हैं पूरी दुनिया के अंतर्गत कोई भी ऐसा मेला नहीं है जहां एक दिन इतने सारे लोग दर्शन के लिए पहुंचते है,यही कारण है कि दुनिया के विभिन्न समाचार पत्रों टीवी चैनलों के #पत्रकार महाकुंभ के पहले ही यहां आकर डेरा डालें हुए रहते हैं ,ताकि इस अलौकिक #अकल्पनीय अद्भुत दृश्य को कवर किया जा सके ,इस बार के महाकुंभ मेंधार्मिकता के साथ-साथ तकनीक का भी विशेष ख्याल रखा गया है ,और पूरे महाकुंभ परिसर को हाईटेक भी बनाया गया है ताकि श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई कठिनाई न हो #गूगल ने खास तौर से पूरे मेला परिसर क्षेत्र को #मैपिंग किया है ताकि श्रद्धालु देश और दुनिया में कहीं से भी अगर यहां आते हैं तो उन्हें इसी तरह की कठिनाई न हो#सुधीर कुमार मिश्रा #जिंदगी लाइव #प्रयागराज सीरीज क्रमशः #दिव्य कुंभ महाकुंभ #गंगा पुत्र

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