चतुष्फ्लकीय शैक्षणिक परीक्षा एवं ग्रीन मूल्यांकन पर देश में प्रथम कार्यशाला ग्रीन आडिट एवं कैम्पस पर तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन

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राजकीय डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर में बी.आई.आर.सी व आईक्यूएसी के संयुक्त तत्वाधान में ग्रीन आडिट एवं ग्रीन कैम्पस विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला के समापन सत्र में प्राचार्य डाॅ. जी.पी. सिंह, उपाचार्य डाॅ. इन्द्रसिंह राजपुरोहित व डा. सुरूचि गुप्ता, डाॅ. हेमेन्द्र भंडारी के सानिध्य में पांच विद्यार्र्थीयों ने विषय पर प्रस्तावना की प्रस्तुति दी। प्राचार्य डाॅ. जी.पी. सिंह ने अपने उद्बोधन में विद्यार्र्थीयों द्वारा तीन दिनों से किये जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कैरिअर पर ध्यान देने एवं निरंतर मेहनत करने पर बल दिया। उपाचार्य डाॅ. इन्द्रसिंह राजपुरोहित विद्यार्र्थीयों के सर्वागीण विकास हेतु ग्रीन आडिट एवं कैम्पस की आवष्यकता को उदाहरणो द्वारा समझाया। 16 विभागों से नांमाकित 75 में से 40 चयनित विद्यार्थियों को पांच समूहों के अम्बेसडर विद्यार्थी नियुक्त किया गया जिन्होने ने जल संरक्षण व मैनेजमेन्ट, ऊर्जा प्रबन्धन, वेस्ट मैनेजमेन्ट, फौना-फ्लोरा एवं बायोडायवर्सिटी, कार्बन फुटप्रिन्ट एवं कैमिकल विषयों पर कार्य शुरू किया। साथ ही ग्रीन कैम्पस एवं एनईपी 2020 विषय पर आज कार्यशाला के अन्तिम दिन चतुष्फ्लकीय शैक्षणिक परीक्षा एवं ग्रीन मूल्यांकन विषय पर विशेष व्याख्यान परिचर्चा सत्र एवं समूह विश्लेषण कार्यक्रम आयोजित किया।

डाॅ. नरेन्द्र भोजक ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली एवं एनईपी 2020 के अन्तर एवं समानता को रेखांकित करते हुए एससमेन्ट एवं इवेल्यूशन ने अंतर स्पष्ट किया, ग्रीन कैम्पस सिद्वान्तों के अनुसार गुणवत्ता युक्त शिक्षा को उत्तम एससमेन्ट के आधार पर ही प्रसारित किया जा सकता है। आज की कार्यशाला में ग्रीन एससमेन्ट की विधि को शैक्षणिक प्रयोगशाला के माध्यम से स्थापित किया। शैक्षणिक परीक्षा प्रयोग में चार गुणों के आधार पर मूल्यंाकन किया गया प्रथम शिक्षक द्वारा सामान्य प्रश्न पत्र विधि, द्वितीय अभिभावकों द्वारा मूल्यांकन, तृतीय मित्रों व सहभागियों द्वारा मूल्यांकन एवं चतुर्थ स्वमूल्यांकन। इस मूल्यंाकन को वास्तव में 40 विद्यार्थियों के लिए करवाया गया। विद्यार्थियों के समूहों ने इसमें उत्साहपूर्वक आनन्द के साथ भाग लिया एवं इस मूल्यांकन को लागू करना अत्यन्त आवश्यक एवं मूल्यवान बताया। कल इसका विस्तृत परिणाम जारी किया जायेगा। शैक्षणिक प्रयोगशाला में ग्रीन आॅडिट एवं एनईपी 2020 के माध्यम से चतुष्फ्लकीय शैक्षणिक परीक्षा एवं ग्रीन मूल्यांकन कर इतिहास रचा गया। जल संरक्षण व मैनेजमेन्ट गीतिका, अनुपमा, लिपाक्षी सोनी, विशाल सरण, राखी सुथार, अवीन, नजमा, शोएब खान ने डाॅ. राजाराम व डा. रवि परिहार के नेतृत्व में काॅलेज में संधारित वाटर पाइन्ट, कुएं, मोटर, स्टोरेज टैंक का अवलोकन कर 14 बिन्दुओं का प्रपत्र तैयार किया जिसमें प्रत्येक स्थान/विभाग में कितना पानी आता हे कितना उपयोग होता है, कितना वेस्ट हो जाता है। इसकी गणना करने पर यह ज्ञात किया जायेगा कि प्रतिदिन न्यनूतम कितने लिटर पानी की आवश्यकता होती है एवं पानी का बचाव कर मरूस्थलीय क्षैत्र पे जल संरक्षण के उपाय विकसित किये जायेगें।ऊर्जा प्रबन्धनउषा वर्मा, यश सिंह, जयकिशन सोंलकी, सौरव शुक्ला, उषा चारण, मिषिका सोंलकी ने डाॅ. अक्षय जोशी व डाॅ. उमा राठौड़ के नेतृत्व में काॅलेज में विभिन्न प्रकार के ऊर्जा स्त्रोत जैसे- बिजली, एलपीजी गैस, लकड़ी कोयला आदि के उपभोग पर आधारित 13 बिन्दुओं का प्रपत्र तैयार किया इसमें प्रतिदिन कक्षाओं में, प्रयोगशाला व आॅफिस में कितनी ऊर्जा की आवश्यकता है एवं इनसे से कितनी ऊर्जा रिन्यूएबल स्त्रोत से प्राप्त हो सकती है गणना कर ज्ञात की जायेगी जिससे ग्रीन एनर्जी का काॅलेज रोडमैप बनाया जा सकें।वेस्ट मैनेजमेन्टसन्नी लांबा, गजेन्द्र नेहरा, देवेन्द्र सिंह हरसाना, शाखा पारीक, शशिकान्त प्रेमी, वेद प्रकाश पारीक, पवन नांगल ने डाॅ. महेन्द्र थौरी व डाॅ. मधु सुदन शर्मा के नेतृत्व में वेस्ट मैनेजमेन्ट के तीन आयामों सालिड वेस्ट, लिक्विड वेस्ट एवं गैसीय वैस्ट को ध्यान में रखकर काॅलेज की कैंटीन, गार्डन, खेल मैदान, कक्षा सेमिनार हाल, प्रयोगशाला, आॅफिस पार्किंग जैसे स्थल चिन्ह्ति किए जाहां बायोवेस्टि ई-वेस्ट एवं हानिकारक वेस्ट को निकाल कर ग्रीन तकनीक से नष्ट या उपयोग करने के सुझाव बनाए जा रहे है। फौना-फ्लोरा एवं बायोडायवर्सिटी प्रियंका भारद्वाज, अनुष्का सिंह, मीनल खत्री, भारती मारू, ओजस्वी भटनागर, पुष्पा प्रजापत, कविता ने डाॅ. प्रताप सिंह एवं डाॅ. एस.एन. जाटोलिया के नेतृत्व पे कैम्पस में विभिन्न पादपों एवं जन्तुओं के श्रेणीवार आडिट की लिस्ट एवं क्रियाकलापों के अध्ययन हेतु 16 बिन्दुओं का प्रपत्र बनाया। कार्बन फुटप्रिन्ट एवं कैमिकल सुनीता पंवार, आमीषा छींपा, बाबूलाल गर्ग, कबीर, भावना पारीक, संकलन गोस्वामी, हेमन्त जांगीड़ ने डाॅ. एस.के. वर्मा व डाॅ. देवेश सहारण के नेतृत्व में कार्बन फुट प्रिन्ट एवं कार्बन क्रेडिट की गणना हेतु सूत्र तैयार करने का कार्य प्रारम्भ किया। इन सूत्रों के माध्यम से न केवल आॅक्सीजन, प्राणवायु वरन कार्बन डाईआक्साईड जैसी हरीली गैस के साथ साथ कैंपस ने प्रति सप्ताह अपने वाले वाहनों एवं पदचापों की संख्या के साथ साथ जेन्डर आॅडिट भी हो सकेगी।सभी टीमें डाॅ. एच.एस. भंडारी प्रभारी जी.सीआर.सी के सहयोग से कार्य कर रही है एवं काॅलेज की अन्तिम ग्रीन आडिट रिपोर्ट एक माह में बीआईआरसी को सौंप दी जायेगी। कार्यशाला में डाॅ. दिव्या जोशी, डा. संगीता शर्मा, डाॅ. राजाराम, डाॅ. उमा रठौड़, डाॅ. एस.एन. जाटोलिया, डाॅ. अभिलाषा सोनेल डा. एस के यादव, डा. एस के वर्मा, डाॅ. मधुसूदन, डाॅ. राजेन्द्र सिंह डाॅ. प्रतिभा पायल, डाॅ. राजकुमार ठठेरा एवं डाॅ. महेन्द्र थोरी की सहभागिता रहीे। संचालन डाॅ. एच.एस. भंडारी एवं धन्यवाद डाॅ. डाॅ. राजाराम द्वारा दिया गया।

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