इलाहाबाद हाईकोर्ट के महिला विरोधी फैसले पर भारत के मुख्य न्यायाधीश से स्वत संज्ञान की मांग

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दिनांक 19 मार्च 2025 को प्रेस बयान जारी करते हुए अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राज्य महासचिव डॉक्टर सीमा जैन ने बताया कि हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट जस्टिस राम मनोहर मिश्र द्वारा 11 साल की बच्ची के केस में फैसला देते हुए कहा कि “महिला के निजी अंग पकड़ना और नाडा तोड़ना दुष्कर्म की कोशिश नहीं है” यह फैसला स्वयं सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व में दिए गए फैसलों की अवहेलना के साथ-साथ देश की आधी आबादी के साथ सामाजिक न्याय की धज्जियां उडाने वाला फैसला है। इस फैसले के खिलाफ जनवादी महिला समिति ने जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और भारत के मुख्य न्यायाधीश के नाम जिला कलेक्टर के मार्फत ज्ञापन देते हुए मांग की कि इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश स्वत संज्ञान ले। प्रदर्शन को संबोधित करते हुए डॉक्टर दुर्गा चौधरी ने कहा कि यह फैसला महिला गरिमा के खिलाफ है महिलाओं को प्राप्त संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है प्रदर्शन में मोनिका प्रजापत, फरजाना, रमजानी, बिंदु जैन, मोनिका पंवार, सानविका, रंजना इत्यादि शामिल हुए।

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